Saturday, December 7, 2024

एक किताब को छूना...



साभार: https://www.pexels.com/search/books/


 एक किताब को छूना,

जैसे एक ख्वाइश को जीना I 

एक किताब को पढ़ना ,

जैसे एक दोस्त को सुनना I

एक किताब का स्पर्श ,

जैसे रूह का हर्ष I

एक किताब का आकर्षण ,

जैसे खुशियों का दर्शन I 

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Thursday, August 15, 2024

तुमने मुझे हरा दिया आदमी

 तुमने मुझे हरा दिया आदमी ,

मेरा दूध पी के...

मेरा खून बहा दिया आदमी,

तुमने मुझे हरा दिया आदमी I


मेरे जिस्म से जनम ले के ,

मेरे हीं  तन में ...

अपने नाख़ून गड़ा दिया आदमी,

तुमने मुझे हरा दिया आदमी I


तुमसे जो उम्मीदें थी उसपे,

पानी फिरा दिया आदमी,

तुमने मुझे हरा दिया आदमी I

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Monday, August 5, 2024

इन फूलों ने ली अंगड़ाई है...


इन फूलों ने ली अंगड़ाई है, 

ये हवा उससे मिल के आई है I 


ख्वाब का क्या भरोसा, ख्वाब तो ख्वाब हैं,

आज हक़ीक़त मुझसे मिलने आई है I


मुद्दत्तों  इंतेज़ार करते रहे इस बियाबाँ में,

आज जा  के एक चिड़िया चह  - चाहाई है I 


आज शाम से हीं उसके जाने का खौफ है दिल में ,

उसके पास होते भी मेरे दिल से लिपटी तन्हाई है I

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Sunday, August 4, 2024

खामोश ही था वो...

 खामोश ही था वो,

पर उसकी नज़र बोलती थी I 


मेरे दिल में चोर था ,

उसे परत दर परत खोलती थी I 


आइना देखना छोड़ दिया हमने ,

अब मेरी सूरत उसकी...

 हंसी में छपती थी I 


और बारिश में घंटो भीगता था मैं,

तब जा के वो पल भर को बिजली सी कौंधती थी I 

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Friday, August 2, 2024

सुनता हूँ तो सुनाई देती है...

सुनता हूँ तो सुनाई देती है,

देखता हूँ तो दिखाई देती है,

जिस्म टटोलता हूँ तो,

उसकी बुनाई होती है, 

रूह टटोलता  हूँ तो,

वो ही समाई होती है I

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उसके लबों पे मेरा बोसा उधार रहा...

 उसके लबों पे मेरा बोसा उधार रहा,

उसकी आँखों की शर्म का मैं बीमार रहा I 


बस सपनों में मेरा उसपे अख्तियार रहा,

हकीकत मेरे और उसके  बीच एक दीवार रहा I 


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Wednesday, January 24, 2024

राम आये हैं...

चित्र साभार :https://www.enavabharat.com/lifestyle/religion/talking-idol-of-ramlala-video-went-viral-on-social-media-862086/
 

राम आये हैं ,

खुशियों की सुबह और शाम लाये हैं I 


राम आये हैं ,

अपना रूप अभिराम  लाये हैं I 


राम आये हैं,

क्लांत मन का विश्राम लाये हैं I 


राम आये हैं,

धरती के तप का विराम लाये हैं I 


राम आये हैं,

जीवन चक्र का नया आयाम लाये हैं I 


राम आये हैं,

पुलकित,प्रफुल्लित अपने धाम आये हैं I 

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Sunday, March 12, 2023

कुछ मुश्किल है

 


कुछ मुश्किल है,

आँख खुलती नहीं,

ख़्वाब मिलते नहीं I


कुछ मुश्किल है,

वक़्त कटता नहीं,

दर्द घटता नहीं I 


कुछ मुश्किल है,

नज़र मिलती नहीं,

असर घुलता नहीं I


कुछ मुश्किल है,

क़दम उठते नहीं,

सफर कटता नहीं I


कुछ मुश्किल है,

रात जाती नहीं ,

नींद आती नहीं I


कुछ मुश्किल है,

राख जलती नहीं,

रोशनी खिलती नहीं I


Tuesday, February 21, 2023

सूरज ढल गया साहब...

सूरज ढल गया साहब 

ज़माना बदल गया साहब 


कभी उड़ते थे आसमानों में 

कभी हम भी थे पहचानों में 


पर सूरज ढल गया साहब 

ज़माना बदल गया साहब 


कभी तारों से करते थे बातें 

कभी आवारों सी कटती थी रातें 


पर सूरज ढल गया साहब 

ज़माना बदल गया साहब 


कभी दौड़ते थे सन सन

कभी ऐंठते थे तन तन 


पर सूरज ढल गया साहब 

ज़माना बदल गया साहब 


कभी हर कोई था हमसे छोटा 

कभी हर एक का सिक्का था खोटा


पर सूरज ढल गया साहब 

ज़माना बदल गया साहब 


शाम बेसब्र थी...


शाम बेसब्र थी,
रात  की ज़ुल्फ़ों में  खोने को,
तारों की झुरमुट में सोने को,
ख़्वाब की आहट संजोने को I 

मैं बेसब्र था,
उसकी सांसों में अपनी सांसें भिगोने को,
उसकी आँखों में अपनी आँखें डूबोने को 
उसकी लबों में अपने लब पिरोने को I 
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रफ़ता रफ़ता दिन ढले...

रफ़ता रफ़ता दिन ढले,

पुर्ज़ा पुर्ज़ा  साँसे I 


रफ़ता रफ़ता सपने मरे,

पुर्ज़ा पुर्ज़ा आसें I 

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Tuesday, December 6, 2022

मैं चाहता हूँ देखना

 मैं चाहता हूँ देखना,

तारों के आगे I

मैं चाहता हूँ सुनना,

जिह्वा  से आगे I

मैं चाहता हूँ गिनना, 

सपनों से आगे I

मैं चाहता हूँ भीगना,

बारिशों से आगे I

मैं चाहता हूँ लिखना,

शब्दों से आगे I

मैं चाहता हूँ चलना,

रास्तों से आगे I

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Thursday, December 2, 2021

कौन जाने कैसा हो आगे ये सफर !

 रात का पहर, 

धुँधले चाँद का असर ,

मंज़िल दूर का शहर ,

रास्तों में रिसता सा क़हर ,

कौन जाने कैसा हो आगे ये सफर !

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Thursday, January 14, 2021

ज़िन्दगी खोती मिलती एक चीज़ हो गई...

 

ज़िन्दगी खोती मिलती एक चीज़ हो गई,

ज़िन्दगी रेत में मिलती तेहज़ीब हो गई ,

और कश्तीओं का नसीब बस डूबना हीं था,

ज़िन्दगी किनारों को तरसती अजीब हो गई I 

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Sunday, February 2, 2020

अंज़ाम सोच के कहाँ ...



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अंज़ाम सोच के कहाँ 
आगाज़ की जाती है ज़िंदगी I

टूट के, बिखर के हीं
कई बार... 
परवाज़ की जाती है ज़िंदगी I
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