साभार: https://www.pexels.com/search/books/
एक किताब को छूना,
जैसे एक ख्वाइश को जीना I
एक किताब को पढ़ना ,
जैसे एक दोस्त को सुनना I
एक किताब का स्पर्श ,
जैसे रूह का हर्ष I
एक किताब का आकर्षण ,
जैसे खुशियों का दर्शन I
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साभार: https://www.pexels.com/search/books/
एक किताब को छूना,
जैसे एक ख्वाइश को जीना I
एक किताब को पढ़ना ,
जैसे एक दोस्त को सुनना I
एक किताब का स्पर्श ,
जैसे रूह का हर्ष I
एक किताब का आकर्षण ,
जैसे खुशियों का दर्शन I
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तुमने मुझे हरा दिया आदमी ,
मेरा दूध पी के...
मेरा खून बहा दिया आदमी,
तुमने मुझे हरा दिया आदमी I
मेरे जिस्म से जनम ले के ,
मेरे हीं तन में ...
अपने नाख़ून गड़ा दिया आदमी,
तुमने मुझे हरा दिया आदमी I
तुमसे जो उम्मीदें थी उसपे,
पानी फिरा दिया आदमी,
तुमने मुझे हरा दिया आदमी I
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इन फूलों ने ली अंगड़ाई है,
ये हवा उससे मिल के आई है I
ख्वाब का क्या भरोसा, ख्वाब तो ख्वाब हैं,
आज हक़ीक़त मुझसे मिलने आई है I
मुद्दत्तों इंतेज़ार करते रहे इस बियाबाँ में,
आज जा के एक चिड़िया चह - चाहाई है I
आज शाम से हीं उसके जाने का खौफ है दिल में ,
उसके पास होते भी मेरे दिल से लिपटी तन्हाई है I
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खामोश ही था वो,
पर उसकी नज़र बोलती थी I
मेरे दिल में चोर था ,
उसे परत दर परत खोलती थी I
आइना देखना छोड़ दिया हमने ,
अब मेरी सूरत उसकी...
हंसी में छपती थी I
और बारिश में घंटो भीगता था मैं,
तब जा के वो पल भर को बिजली सी कौंधती थी I
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सुनता हूँ तो सुनाई देती है,
देखता हूँ तो दिखाई देती है,
जिस्म टटोलता हूँ तो,
उसकी बुनाई होती है,
रूह टटोलता हूँ तो,
वो ही समाई होती है I
उसके लबों पे मेरा बोसा उधार रहा,
उसकी आँखों की शर्म का मैं बीमार रहा I
बस सपनों में मेरा उसपे अख्तियार रहा,
हकीकत मेरे और उसके बीच एक दीवार रहा I
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चित्र साभार :https://www.enavabharat.com/lifestyle/religion/talking-idol-of-ramlala-video-went-viral-on-social-media-862086/
राम आये हैं ,
खुशियों की सुबह और शाम लाये हैं I
राम आये हैं ,
अपना रूप अभिराम लाये हैं I
राम आये हैं,
क्लांत मन का विश्राम लाये हैं I
राम आये हैं,
धरती के तप का विराम लाये हैं I
राम आये हैं,
जीवन चक्र का नया आयाम लाये हैं I
राम आये हैं,
पुलकित,प्रफुल्लित अपने धाम आये हैं I
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कुछ मुश्किल है,
आँख खुलती नहीं,
ख़्वाब मिलते नहीं I
कुछ मुश्किल है,
वक़्त कटता नहीं,
दर्द घटता नहीं I
कुछ मुश्किल है,
नज़र मिलती नहीं,
असर घुलता नहीं I
कुछ मुश्किल है,
क़दम उठते नहीं,
सफर कटता नहीं I
कुछ मुश्किल है,
रात जाती नहीं ,
नींद आती नहीं I
कुछ मुश्किल है,
राख जलती नहीं,
रोशनी खिलती नहीं I
सूरज ढल गया साहब
ज़माना बदल गया साहब
कभी उड़ते थे आसमानों में
कभी हम भी थे पहचानों में
पर सूरज ढल गया साहब
ज़माना बदल गया साहब
कभी तारों से करते थे बातें
कभी आवारों सी कटती थी रातें
पर सूरज ढल गया साहब
ज़माना बदल गया साहब
कभी दौड़ते थे सन सन
कभी ऐंठते थे तन तन
पर सूरज ढल गया साहब
ज़माना बदल गया साहब
कभी हर कोई था हमसे छोटा
कभी हर एक का सिक्का था खोटा
पर सूरज ढल गया साहब
ज़माना बदल गया साहब
रफ़ता रफ़ता दिन ढले,
पुर्ज़ा पुर्ज़ा साँसे I
रफ़ता रफ़ता सपने मरे,
पुर्ज़ा पुर्ज़ा आसें I
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मैं चाहता हूँ देखना,
तारों के आगे I
मैं चाहता हूँ सुनना,
जिह्वा से आगे I
मैं चाहता हूँ गिनना,
सपनों से आगे I
मैं चाहता हूँ भीगना,
बारिशों से आगे I
मैं चाहता हूँ लिखना,
शब्दों से आगे I
मैं चाहता हूँ चलना,
रास्तों से आगे I
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रात का पहर,
धुँधले चाँद का असर ,
मंज़िल दूर का शहर ,
रास्तों में रिसता सा क़हर ,
कौन जाने कैसा हो आगे ये सफर !
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ज़िन्दगी खोती मिलती एक चीज़ हो गई,
ज़िन्दगी रेत में मिलती तेहज़ीब हो गई ,
और कश्तीओं का नसीब बस डूबना हीं था,
ज़िन्दगी किनारों को तरसती अजीब हो गई I
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