रात का पहर,
धुँधले चाँद का असर ,
मंज़िल दूर का शहर ,
रास्तों में रिसता सा क़हर ,
कौन जाने कैसा हो आगे ये सफर !
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बहुत सुंदर।
संक्षिप्त किन्तु प्रभावी अभिव्यक्ति जो शब्दों के पार जाकर हृदय पर चिह्न अंकित करती है।
धन्यवाद ज्योति जी!
आभार जितेन्द्र जी !
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteसंक्षिप्त किन्तु प्रभावी अभिव्यक्ति जो शब्दों के पार जाकर हृदय पर चिह्न अंकित करती है।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योति जी!
ReplyDeleteआभार जितेन्द्र जी !
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