Thursday, December 2, 2021

कौन जाने कैसा हो आगे ये सफर !

 रात का पहर, 

धुँधले चाँद का असर ,

मंज़िल दूर का शहर ,

रास्तों में रिसता सा क़हर ,

कौन जाने कैसा हो आगे ये सफर !

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4 comments:

  1. संक्षिप्त किन्तु प्रभावी अभिव्यक्ति जो शब्दों के पार जाकर हृदय पर चिह्न अंकित करती है।

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  2. धन्यवाद ज्योति जी!

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  3. आभार जितेन्द्र जी !

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