कुछ मुश्किल है,
आँख खुलती नहीं,
ख़्वाब मिलते नहीं I
कुछ मुश्किल है,
वक़्त कटता नहीं,
दर्द घटता नहीं I
कुछ मुश्किल है,
नज़र मिलती नहीं,
असर घुलता नहीं I
कुछ मुश्किल है,
क़दम उठते नहीं,
सफर कटता नहीं I
कुछ मुश्किल है,
रात जाती नहीं ,
नींद आती नहीं I
कुछ मुश्किल है,
राख जलती नहीं,
रोशनी खिलती नहीं I
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (१९-०३-२०२३) को 'वृक्ष सब छोटे-बड़े नव पल्लवों को पा गये'(चर्चा अंक -४६४८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत आभार अनीता जी !
DeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDelete