Sunday, August 4, 2024

खामोश ही था वो...

 खामोश ही था वो,

पर उसकी नज़र बोलती थी I 


मेरे दिल में चोर था ,

उसे परत दर परत खोलती थी I 


आइना देखना छोड़ दिया हमने ,

अब मेरी सूरत उसकी...

 हंसी में छपती थी I 


और बारिश में घंटो भीगता था मैं,

तब जा के वो पल भर को बिजली सी कौंधती थी I 

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