probinglife
Tuesday, February 21, 2023
शाम बेसब्र थी...
शाम बेसब्र थी,
रात की ज़ुल्फ़ों में खोने को,
तारों की झुरमुट में सोने को,
ख़्वाब की आहट संजोने को I
मैं बेसब्र था,
उसकी सांसों में अपनी सांसें भिगोने को,
उसकी आँखों में अपनी आँखें डूबोने को
उसकी लबों में अपने लब पिरोने को I
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