उसके लबों पे मेरा बोसा उधार रहा,
उसकी आँखों की शर्म का मैं बीमार रहा I
बस सपनों में मेरा उसपे अख्तियार रहा,
हकीकत मेरे और उसके बीच एक दीवार रहा I
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