गर तुमने बारिश में धूप को देखा है,
गर तुमने बादल में छिपा चंदा देखा है,
गर तुमने घास पे ओस को देखा है,
गर तुमने सर्दी में आग को देखा है,
गर तुमने बच्चे को हंसते देखा है,
गर तुमने पंछी को उड़ते देखा है,
तो तुमने खुशी को देखा है,
तो तुमने उसी को देखा है,
जिसे तुम ईश्वर कहते हो I
Such simple pleasures that we take for granted in our day to day existence. Beautiful poem!
ReplyDeleteThanks Dipali for stopping by and appreciating the post.
ReplyDeletewow so beautiful. I love reading these on your blog. pasting on my timeline with your name.
ReplyDeleteThanks Bhawana for your wonderful gesture.
ReplyDelete