Thursday, October 4, 2018

ढूंढता तुम्हे आकाश में...



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ढूंढता तुम्हे आकाश में,
ढूंढता तुम्हे प्रकाश में I

ढूंढता तुम्हे आस में,
ढूंढता तुम्हे विश्वास में I

ढूंढता तुम्हे प्यास में,
ढूंढता तुम्हे प्रयास में I

ढूंढता तुम्हे एहसास में,
ढूंढता तुम्हे हर सांस में I

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8 comments:

  1. simple yet powerful lines Neeraj. I am thinking to share these in my fb account. I love reading hindi kavita

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  2. Thanx Bhawana for your appreciation of the poem. It would be kind of honour for the poem if you find it eligible enough to be posted on your FB account.

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  3. बहुत खूब नीरज जी

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  4. नीरज आपके द्वारा लिखी गई बहुत अच्छी कविता पढ़ने को मिली, इस कविता को पढ़के बहुत खुशी मिली..

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  5. बहुत बहुत आभार वर्षा !

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