ज़िंदगी उलझे धागों की हथेली है I
ज़िंदगी फौलाद की मानिंद एक सिल्ली है,
ज़िंदगी काँच की मानिंद एक झिल्ली है I
ज़िंदगी आँख से फूटती मोती गीली है,
ज़िंदगी गले से फूटती लोरी सुरीली है I
ज़िंदगी हर पल छूटती पतंग ढीली है,
ज़िंदगी हर पल टूटती नब्ज़ अकेली है I
ज़िंदगी ताश के पत्तों की हवेली है,
ज़िंदगी काश के गत्तों की सहेली है I
ज़िंदगी हर रोज़ एक पहेली है,
ज़िंदगी उलझे धागों की हथेली है I
ब्लॉगर साथी सचिन बइकर कृत एक छंद जो इस कविता को मानव संघर्षों(खासकर मुंबईकरों के संघर्षों ) से जोड़ती है और एक नया अर्थ देती है, निचे इस छंद का आनंद लें :
ज़िंदगी हर रोज़ ट्रेन की सवारी है,
ज़िंदगी शाम को घर आने की तैयारी है I
ब्लॉगर साथी सचिन बइकर कृत एक छंद जो इस कविता को मानव संघर्षों(खासकर मुंबईकरों के संघर्षों ) से जोड़ती है और एक नया अर्थ देती है, निचे इस छंद का आनंद लें :
ज़िंदगी हर रोज़ ट्रेन की सवारी है,
ज़िंदगी शाम को घर आने की तैयारी है I
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very nice...very beautifully written
ReplyDeleteThanx Deepshikha Jee!
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योति जी!
ReplyDeleteबहुत अच्छी तरह लिखित कविता 👍 नीरज। मुंबईकर के लिए दो लाइनें जोड़ना... आप से प्रेरित... 🙂
ReplyDeleteज़िंदगी हर रोज़ ट्रेन की सवारी है
ज़िंदगी श्याम को घर आने की तैयारी है
सचिन आपके छंद को मैंने इस कविता में जोड़ दिया हैI
ReplyDeleteकविता की सराहना के लिए बहुत धन्यावाद !
नीरज बहुत बहुत धन्यवाद :)
ReplyDeleteनीरज बहुत बहुत धन्यवाद :)
ReplyDeleteआपका स्वागत है सचिन!
ReplyDeleteनीरज अच्छी तरह से लिखी कविता
ReplyDeleteमुझे कविता बहुत बहुत पसंद आयी
बहुत बहुत आभार वर्षा!
Deleteज़िंदगी हर रोज़ एक पहेली है,
ReplyDeleteज़िंदगी उलझे धागों की हथेली है I
ज़िंदगी फौलाद की मानिंद एक सिल्ली है,
ज़िंदगी काँच की मानिंद एक झिल्ली है I
beautiful lines. Today had some disturbance and this poem suits well today. Loved the addition for mumbaikar hahhah
Thanks Bhawana for visiting the post. The mumbaikar addition is creative input of Sachin as you already know, so he deserves the credit for those lines:-)
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