जैसे ये उनका हक़ था,
तुमने हमको ऐसे झिड़क दिया,
जैसे हमें यही मिलना बेशक़ था I
तुमने उन्हे चमकते तारे दे दिए,
तुमने हमें फूटे गुब्बारे दे दिए,
तुमने उन्हे कोमल फुहारे दे दिए.
तुमने हमें दहकते अँगारे दे दिए I
तुमने उन्हें हँसने के सहारे दे दिए,
तुमने हमें रोने के इशारे दे दिए,
तुमने उन्हें चढ़ने को मीनारें दे दिए,
तुमने हमें मरने को किनारे दे दिए I
तुमने उन्हें ऐसे दे दिया,
जैसे वो उगते उजियारे थे,
तुमने हमें ऐसे झिड़क दिया,
जैसे हम डूबते सैयारे थे I
###
टूटे दिल से एक कविता। अच्छी तरह से लिखा नीरज 👍
ReplyDeleteधन्यवाद सचिन!
ReplyDeleteamazing Neeraj, how do you write I am really surprised.. so beautiful lines. just loved it
ReplyDeleteThanx Bhawana for your encouraging words.
ReplyDeleteबहुत खूब नीरज जी। बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteधन्यवाद दीपशिखा जी !
ReplyDeleteमैंने आज इस पोस्ट को पढ़ा ...
ReplyDeleteयह कविता दिल को बहुत छू रही है ...खूबसूरत पंक्तियां
बहुत खुब नीरज....
बहुत बहुत आभार वर्षा, आपकी प्रोत्साहन से भरी टिप्पणी के लिए !
Delete