वो कैसे बाँटता है?
किसी के जीवन में,
सुख और दुख,
अहा और उफ़ I
कौन जाने...
वो कैसे बाँटता है?
हँसी की धूप,
हृदय की हुक I
कौन जाने...
वो कैसे बाँटता है ?
प्रबुद्ध उजियारा,
विरुद्ध अंधियारा I
कौन जाने...
वो कैसे बाँटता है?
चमकता सितारा,
दहकता अंगारा I
कौन जाने...
वो कैसे बाँटता है?
कोमल इत्मीनान,
कठोर इम्तिहान I
कौन जाने...
वो कैसे बाँटता है?
असीमित आसमान,
व सीमित उड़ान I
so thoughful, really kaun jane...
ReplyDeleteThanx Bhawana!
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता नीरज
ReplyDeleteधन्यवाद वर्षा !
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