Wednesday, August 29, 2018

ज़िंदगी भर ज़िंदगी ढूँढते रह गये...



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ज़िंदगी भर ज़िंदगी ढूँढते रह गये,
कभी रास्ते मिले तो मंज़िल ढूँढते रह गये I

ज़िंदगी भर ज़िंदगी ढूँढते रह गये,
कभी कोशिश मिली तो हासिल ढूँढते रह गये I

ज़िंदगी भर ज़िंदगी ढूँढते रह गये,
कभी समंदर मिला तो साहिल ढूँढते रह गये I

ज़िंदगी भर ज़िंदगी ढूँढते रह गये,
साथ रोने हँसने को एक यार मुसलसल ढूँढते रह गये I

ज़िंदगी भर ज़िंदगी ढूँढते रह गये,
इस जहाँ में एक ज़िंदगी मुकम्मल ढूँढते रह गये I
 
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