बीते हुए वक़्त की निशानी बन जाएँगे I
आज लड़ते हैं, झगड़ते है,
कभी मानते, कभी बिगड़ते हैं,
एक दिन हम बात पुरानी बन जाएँगे,
बादल से बिछड़ा हुआ पानी बन जाएँगे I
मैं खुद में खुश,तुम खुद में मुबतिला,
ना खुद से शिकायत, ना तुम से गिला,
एक दिन हम,
बीते हुए मौज़ की रवानी बन जाएँगे,
सोए हुए मौत की जवानी बन जाएँगेI
एक दिन हम सब कहानी बन जाएँगे,
बीते हुए वक़्त की निशानी बन जाएँगे I
###
बहुत सुंदर कविता 👍 नीरज
ReplyDeleteधन्यवाद वर्षा!
ReplyDeleteVery true.
ReplyDeleteThanks for visit and comment Ranjana.
ReplyDelete