ईश्वर कृपा कर रहा है...
ईश्वर कृपा कर रहा है,
के श्वास चल रह है,
के रुधिर बह रहा है I
ईश्वर कृपा कर रहा है,
के धरा मचल रही है,
बादल पिघल रहा है I
ईश्वर कृपा कर रहा है,
के जब ऊषा सो रही है,
तब निशा गा रही है I
ईश्वर कृपा कर रहा है,
और सब विधिवत हो रहा है,
तो क्यूँ चक्षु से नीर बह रहा है ?
तो क्यूँ हृदय में पीर भर रहा है ?
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Heart warming! Touched the chord, specially the last stanza. Even when we feel the blessings of the Almighty, we still feel the void in the heart and numbness in the eyes.
ReplyDeleteGood one.
Thanx Anagha for appreciating the poem and your visit.
Deleteबहुत सुन्दर नीरज ज़ी
ReplyDeleteआभार दीपशिखा जी !
Deletewow, Lovely poem written. I like reading such in hindi. bookmarked your page. loved it.
ReplyDeleteThanks a lot Bhawana.
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