Monday, September 10, 2018

ग़र हार जाना हीं अंतिम बात होती...

ग़र हार जाना हीं अंतिम बात होती,
तो काँच में बिजली न खेलती I

ग़र हार जाना हीं अंतिम बिसात होती,
तो आस्मां में लोहे की चिड़ियाँ न उड़ती I

ग़र हार जाना हीं अंतिम औकात होती, 
तो अंतरिक्ष में इंसानी छाती न धड़कती I

ग़र हार जाना हीं अंतिम इबरत होती,
तो पानी में फौलाद की पनडुब्बी न सोती I

तो हार जाने पे, कुछ बेकार जाने पे,
फंदे पे झूलना, इमारतों से कूदना,
पटरियों पे कटना, जिस्म में ज़हर का घोलना,
पागलपन तो नही पर सपनों का सूनापन ज़रूर है,
लेकिन लड़ना और लड़ के हारना भी तो जीने का एक शऊर है I

तो चलो एक बार फाँसी,ज़हर,पटरी को किनारे करते हैं, 
और सपने, उम्मीद, और ज़िंदगी को इशारे करते हैं I 
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#WorldSuicidePreventionDay दस सितम्बर 

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