तुम्हारे सब कुछ होने के आगे,
मेरा कुछ नहीं होने का एहसाह,
अच्छा नहीं लगता !
तुम्हारे आसमान में उड़ने के आगे,
मेरा ज़मीन पे रेंगने का एहसास,
अच्छा नही लगता !
तुम्हारे उन्मत हो के गरजने के आगे,
मेरा नतमस्तक हो के मीमीयाने का एहसास,
अच्छा नही लगता !
तुम्हारे सब कुछ वश में होने के आगे,
मेरे बेबस होने का एहसास,
अच्छा नही लगता !
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सुंदर कविता नीरज
ReplyDeleteधन्यवाद वर्षा!
ReplyDeletebeautifully written.
ReplyDeleteThanx Bhawana for your comment!
Deletebohot khoob
ReplyDeleteThanx Bhavana for your comment!
Deleteअच्छी कविता नीरज
ReplyDeleteआभार सचिन!
ReplyDeleteThe poem is serene. I find myself at peace after reading this. Loved it. :)
ReplyDeleteThanx Roy S for coming to the blogsite and appreciating the post.
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