उसे मेरे पलकों के गांव की तमन्ना थी I
उसे मेरे कान की बाली से प्यार था,
उसे मेरे लबों की लाली से प्यार था I
उसे मेरे गालों का भंवर पसंद था,
उसे मेरे सांसों का खबर पसंद था I
उसके लिए मैं हीं उसका जहान थी,
उसके लिए मैं हीं उसका अभिमान थी I
एक दिन मैं उसकी बाहों में थी,
अपने ख्वाबों के पनाहों में थी,
के एकदम से उसने मुझे झटक दिया,
मेरे ख्वाबों के आसमान से निचे पटक दिया,
पूछा तो पता चला,
के जो मेरे गोर रंग पे मरता था,
वो मेरे गर्दन के सफ़ेद दाग से डर गया I
उस दिन उसने मुझसे अलविदा कह दिया,
मेरे मोहब्बत के फलसफे को शर्मिंदा कह दिया,
और...
दुनिया की गलीज़ रवायत को,
एक बार फिर ज़िंदा कह दिया I
उस दिन मुझे पता निकला,
के जिसे मैंने खुदा समझा था ,
वो इंसान तक बहुत बेहूदा निकला I
###
टूटे दिल की कविता :( अच्छी तरह से व्यक्त किया
ReplyDeleteआभार सचिन !
Deletebahut khoob
ReplyDeleteDhanyawad Pushpendra!
Deletewell done, very thought provoking.
ReplyDeleteThanx Bhawana!
Deleteयतार्थ व्यक्त करती रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योति जी!
ReplyDelete