वक़्त से लेकर उधार,
कुछ सपने... कुछ ख़ार,
शुरू किया था एक सफ़र,
बस तुझे मानकर आधार I
पर दूर तक आकर भी इस सफ़र में,
आज जाने क्यूँ लगता है,
पूरा सफ़र बेकार...तेरा असर बेकार I
जब सब कुछ तुझको हीं,
पता है सही ग़लत,
तो मेरी जान को,
क्यूँ डाली आफ़त,
क्यूँ आग जलाया,
सिने में... भीड़ जाने को,
लड़ जाने को,
जब तुझे पता था,
मेरा अंत...जब तुझे पता था,
मेरा उजड़ा वसंत I
आज मेरा कुछ भी नहीं ,
आज मेरा तू भी नहीं ,
आज बस मैं मेरे जुनून,
का बिखरा हुआ एक हिस्सा हूँ ,
आज बस मैं तेरे अफ़्सूं ,
का बिलखता हुआ एक किस्सा हूँ I
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अफ़्सूं : जादू / जादूगरी
अफ़्सूं : जादू / जादूगरी
कविता बहुत अच्छी है, पर उदास कविता है।
ReplyDeleteउदासी...जीवन का एक हिस्सा है, और इसे भी मन से निकल कर काग़ज़(ब्लॉगवाले) पर बिखरना चाहिए I
Deleteकविता की सराहना के लिए बहुत धन्यवाद रेखा जी!
Touchy one, loved it.
ReplyDeleteThanks Jyotirmoy for appreciation of the post.
ReplyDeleteनीरज जी, कविता में कुछ ज्यादा ही उदासिनता महसूस होती हैं।
ReplyDeleteहां उदास कविता तो है, लेकिन ये भी जीवन का एक रंग है!
DeleteBeautiful poem.
ReplyDeleteThanx Abhijit for appreciation of the post.
Deleteआज मेरा कुछ भी नहीं ,
ReplyDeleteआज मेरा तू भी नहीं ,
आज बस मैं मेरे जुनून,
का बिखरा हुआ एक हिस्सा हूँ ,
आज बस मैं तेरे अफ़्सूं ,
का बिलखता हुआ एक किस्सा हूँ I
बहुत खूब !
धन्यवाद योगी सारस्वत जी!
Deleteकविता में उदासिनता है लेकिन जीवन में ऐसे पल कही बार आते है। हम सब के साथ होते है फिर भी कभी कभी अकेलापन महसुस करते है।।
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखते हो नीरज। ऐसे ही सुंदर कविँताँए लिखते रहो।
आपको बहुत शुभ कामनाये।
बहुत बहुत आभार वर्षा, कविता की सराहना के लिए !
Deleteअच्छी कविता 👍 लेकिन मुझे आशा है कि सब कुछ ठीक है भाई
ReplyDeleteहां हां सब ठीक है भाई...ज़िंदगी जितना ठीक रहने देती है उतना ठीक रहता हूँ I
Deleteउत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद !
I am sure that little bit of junoon is more than enough :D
ReplyDeleteYes...I guess.
ReplyDeleteBeautiful! Saddest poems are always the sweetest, they say! :)
ReplyDeleteThanks Deepa for your visit and appreciation of the post.
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