Thursday, January 10, 2019

वक़्त लगता है...



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वक़्त लगता है,
सूरज को चंदा बन पिघलने मे I

वक़्त लगता है,
चंदा को सूरज बन जलने में I


वक़्त लगता है,
बचपन के जवान बनने में I

वक़्त लगता है,
जवान के सयान बनने में I

वक़्त लगता है,
कूक को पहचान बनने में I

वक़्त लगता है,
भूख को बेईमान बनने में I

वक़्त लगता है,
बूँद को तूफान बनने में I

वक़्त लगता है,
इंसान को भगवान बनने में I
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19 comments:

  1. So true, nice interpretations, loved it.

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  2. Thanks Jyotirmoy for your visit to the post and comment on it.

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  3. Very nice neeraj...well said....keep writing ...God bless you.

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  4. Thanks Deepshikha Jee for your lovely and encouraging words. Thanks for your wishes.

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  5. अच्छी कविता, गहरी बात लिखी है आपने।

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  6. बहुत बढ़िया प्रस्तूति, नीरज जी।

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    1. धन्यवाद ज्योति जी!

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  7. मैं वास्तव में आपके लेखन से प्रभावित हूँ। नियमित लिखते रहें। नीरज ☺

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  8. बहुत बहुत आभार सचिन !

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  9. True. Everything takes time. Product done in hurry may be undercooked and unprepared. Well said.

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  10. Thanks Abhijit for visiting and appreciating the post.

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  11. Kya khub,achha ya bura,dono banne mein vakt lagta hai.

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  12. Thanks Ranjana Jee for your visit to the post and comment.

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  13. बहुत ही सुंदर कहा नीरज।
    सच है की वक्त से पहले कुछ नही मिलता।
    कहावत है - सबर का फल मीठा ही होता है।।

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  14. कविता की स्रहना के लिए बहुत आभार वर्षा !

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