probinglife
Sunday, July 15, 2018
रास्ते बहोत थे, वास्ते बहोत,
रास्ते बहोत थे, वास्ते बहोत थे,
फिर भी आज हम अकेले खड़े हैं,
ज़िंदा हैं के बस अपनी ज़िद पे अड़े हैं I
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