उम्मीद थी
गुलबों की,वास्ता पड़ा है काँटों से,
उम्मीद थी
उजलों की,वास्ता पड़ा है रातों से I
अजीब सा है रास्ते का मंज़र,
डर लगता है,
कहीं खून
बिखरा है कहीं खंज़र I
पहले आँखों
में काजल था,
आज फकत सियाही
है,
पहले सिने
में सोना था,
आज गूंगी
गवाही हैI
किस्मत का
बदलना,
एक सच्चाई
है,
वैसे ही जैसे
,
पानी पे लिखी,
लिखाई है I
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Beautiful
ReplyDeleteThanx Deepshikha jee for your visit and comment.
DeleteThanks ffor sharing
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