कभी कभी कुछ जाने पहचाने ,
अंजाने से लगते हैं I
कभी कभी कुछ रातों के सपने,
बेगाने से लगते हैं I
कभी कभी कुछ होठों के टुकड़े,
अफ़सानो से लगते हैं I
कभी कभी साँसों के चिथड़े ,
एहसानो से लगते हैं I
कभी कभी शोलों के ओले ,
परवानो से लगते हैं I
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