Saturday, August 17, 2019

रुकना ज़रूरी है...




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रुकना ज़रूरी है,
चलते जाने के लिए,


बुझना ज़रूरी है,
जलते जाने के लिए ,


ऐसा हमें लगा था,


पर ज़िंदगी मेरी गुलाम
थोड़े ही है...
मेरी हां में हां मिलाते जाने के लिए I

12 comments:

  1. बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा

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  2. बहुत अच्छी पंक्तियाँ नीरज

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  3. नीरज भाई, जिंदगी की कड़वी सच्चाई बयान करती बहुत सुंदर रचना।

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    1. कविता की सराहना के लिए धन्यवाद ज्योति जी!

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  4. Bilkul sahi. In our busy life quite often we neglect rest.

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  5. Sahi baat hai, Life me kisi ko thodi der se toh kisi ko thodi jaldi ye baat samjh me aati hai :)

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    1. Thanks sonal for your visit and comment on the post.

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