Saturday, August 10, 2019

बरसों से इंतेज़ार था...



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इस हुंकार का,
इस दहाड़ का,
बरसों से इंतेज़ार था I

मिट्टी के इस आकार का,
सपनों के इस साकार का,
बरसों से इंतेज़ार था I

दूरियों के मिटने का और...
लकीरों के सिमटने का,
बरसों से इंतेज़ार था I

13 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 10/08/2019 की बुलेटिन, "मुद्रा स्फीति के बढ़ते रुझानों - दाल, चावल, दही, और सलाद “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. इस सम्मान के लिए बहुत आभार शिवम जी I

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  3. वाह !बेहतरीन सृजन सर
    सादर

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  4. धन्यवाद ओंकार जी !

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  5. सही कहा नीरज भाई की इस हुंकार का बहुत इंतजार था। सुंदर प्रस्तूति।

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  6. ... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।

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