चित्र साभार :https://hindi.timesnownews.com/india/article/jammu-kashmir-pulwama-attack-encounter-terrorist-major-vibhuti-shankar-dhoundiyal-martyr-first-wedding-anniversary-wife-dehradun/368428
आख़िर क्यूँ आँखों से खून बहता है ?
आख़िर क्यूँ नसों में तेज़ाब घुलता है ?
आख़िर क्यूँ अब साँसों से उसकी वो गर्मी जाती है ?
आख़िर क्यूँ अब एहसासों से उसकी वो नर्मी जाती है ?
आख़िर क्यूँ उसका ज़िंदा चेहरा अब पत्थर बनता है ?
आख़िर क्यूँ उसकी याद का गहवारा अब नश्तर बनता है ?
आख़िर क्यूँ मेरा सूरज हर बार भरी जवानी डूबता है ?
आखिर क्यों मेरा तारा हर बार भरी दिवाली टूटता है ?
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गहवारा : पालना
kyonki hum is par gehrai se na sochte hai na bolte hai, pls read my post on indibloggers at AntiJIHADclass
ReplyDeleteAakhir samay se kaun thakkar le sakta hai?
ReplyDeleteAakhir waqt kyoon humko yeh sabak sikata hain?
Aakhir hum kyoon bhoolkar wahin bhool kartein hain?
Aakhir ham kab jazbat ki yeh baat samajh payenge?
Very logical questions, life has so many incidents and we have to face those...this way or that way.
ReplyDeleteबहुत अच्छी लिखी कविता नीरज। लेकिन जवाब मिलना मुश्किल है।
ReplyDeleteTouching tribute to our armed forces.
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