Thursday, February 14, 2019

वो आँख बाँध देता है...



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वो आँख बाँध देता है,
और देखने को कहता है I

वो जीभ बाँध देता है,
और बोलने को कहता है I

वो कान बाँध देता है,
और सुनने को कहता है I

वो हाथ बाँध देता है,
और तैरने को कहता है I

वो पाँव बाँध देता है,
और नाचने को कहता है I

फिर...

वो आस बाँध देता है,
और जीने को कहता है I
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10 comments:

  1. अच्छा विरोधाभास व्यक्त किया है। सचमुच कभी कभी जीवन ऐसा हीं लगता है।

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  2. Shayad, ummidon se duniya kayam hai ye sikhata hai.
    Ironic are the ways of life.
    Atyant taral aur ashay purna kavita, Neeraji. Sundar!

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  3. Sometime it happens in life...very nice presentation.

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  4. Who is this person, you are so upset with?

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    1. Ha ha ha...it is called GOD...NATURE that govern our lives.

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