ज़िन्दगी खोती मिलती एक चीज़ हो गई,
ज़िन्दगी रेत में मिलती तेहज़ीब हो गई ,
और कश्तीओं का नसीब बस डूबना हीं था,
ज़िन्दगी किनारों को तरसती अजीब हो गई I
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बहुत सुंदर।
आभार ज्योति जी !
Beautiful, but long time nothing new?
Thanks for your comment Mridula Jee. Yes, many things are going on in life so don't find time.
वाह।
धन्यवाद् शिवम् जी !
सुंदर, सार्थक रचना !........ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
धन्यवाद् संजू जी !
सुन्दर पंक्तियाँ नीरज. मुझे आशा है कि आप और आपके परिवार के सदस्य ठीक हैं। मैंने लगभग 1.5 वर्षों के बाद इंडिब्लॉगर में लॉग इन किया। लिखते रहो...
धन्यवाद् सचिन ! हाँ इधर सब ठीक है , आशा करता हूँ आप और आपका परिवार भी स्वस्थ और खुश होंगे I
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteआभार ज्योति जी !
DeleteBeautiful, but long time nothing new?
ReplyDeleteThanks for your comment Mridula Jee. Yes, many things are going on in life so don't find time.
Deleteवाह।
ReplyDeleteधन्यवाद् शिवम् जी !
Deleteसुंदर, सार्थक रचना !........
ReplyDeleteब्लॉग पर आपका स्वागत है।
धन्यवाद् संजू जी !
Deleteसुन्दर पंक्तियाँ नीरज. मुझे आशा है कि आप और आपके परिवार के सदस्य ठीक हैं। मैंने लगभग 1.5 वर्षों के बाद इंडिब्लॉगर में लॉग इन किया। लिखते रहो...
ReplyDeleteधन्यवाद् सचिन ! हाँ इधर सब ठीक है , आशा करता हूँ आप और आपका परिवार भी स्वस्थ और खुश होंगे I
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