Thursday, January 14, 2021

ज़िन्दगी खोती मिलती एक चीज़ हो गई...

 

ज़िन्दगी खोती मिलती एक चीज़ हो गई,

ज़िन्दगी रेत में मिलती तेहज़ीब हो गई ,

और कश्तीओं का नसीब बस डूबना हीं था,

ज़िन्दगी किनारों को तरसती अजीब हो गई I 

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10 comments:

  1. Beautiful, but long time nothing new?

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    1. Thanks for your comment Mridula Jee. Yes, many things are going on in life so don't find time.

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    1. धन्यवाद् शिवम् जी !

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  3. सुंदर, सार्थक रचना !........
    ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  4. सुन्दर पंक्तियाँ नीरज. मुझे आशा है कि आप और आपके परिवार के सदस्य ठीक हैं। मैंने लगभग 1.5 वर्षों के बाद इंडिब्लॉगर में लॉग इन किया। लिखते रहो...

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    1. धन्यवाद् सचिन ! हाँ इधर सब ठीक है , आशा करता हूँ आप और आपका परिवार भी स्वस्थ और खुश होंगे I

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