Friday, October 18, 2019

उम्मीद के पंखों पे सपनों का भार...




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उम्मीद के पंखों पे,
सपनों का भार I

वो लुढ़कती किस्मत,
वो मिलती हार I

वो रंगों की रौनक,
वो रौशनी की फुहार,
बस मुझको हीं क्यूँ,
करवाते हैं इतना इंतेज़ार?

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16 comments:

  1. Oh My God,this same question is disturbing me today from the morning....why always i have to wait for so long ?

    Beautiful presentation...Hats Off.

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    1. Thanks a lot Jyotirmoy for your persistent encouragement.

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  2. सुंदर अभिव्यक्ति।
    सबको अपने हिस्से का इंतजार नसीब होता है।

    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है 👉👉  लोग बोले है बुरा लगता है

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  3. बहुत आभार रोहितास जी !

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  4. बहुत ख़ूब नीरज जी ! बहुत दर्द छुपा है इन अशआर में जो किसी मासूम दिल से निकले हैं ।

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  5. नीरज भाई,कहा जाता हैं कि इंतजार का फल मीठा होता हैं। आपको भी मिलेगा।

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    1. देखते हैं... ज्योति जी !

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