Monday, November 4, 2019

ये नींव के पत्थर !


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चित्र साभार :https://littleindia.com/keralite-nris-turn-towards-posh-old-age-homes-parents/

सोचता हूँ अक्सर,

अंधेरे में रहना,


गुमनामी पिरोना,


अकेलापन सहेजना,


हर कम्पन सहना,


फिर भी कुछ ना कहना,


रहते हमेशा दबकर,


सहते सबकुछ हंस कर,


सोचता हूँ अक्सर,


के किस मिट्टी के होते हैं,


ये नींव के पत्थर !


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11 comments:

  1. नींव के पत्थरों (या नींव की ईंटों) की बात ही कुछ और होती है नीरज जी । आसान नहीं है उनके जैसा नि:स्वार्थ बलिदानी बनना । बहुत अच्छी बात कही है आपने ।

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    1. धन्यवाद जितेंद्र जी !

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  2. स्यय्द इसी के लिए इन्हें नीव का पत्थर कहते हैं ... खुद मिट जाते हैं और दूसरों को खड़ा रखते हैं ...

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    1. जी हाँ... ब्लॉग पे आपके आगमन के लिए धन्यवाद दिगंबर जी!

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  3. But they should not be taken for granted!

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  4. True...thanks for the visit to the blogsite Mridula Jee.

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