Friday, May 10, 2019

कुछ उसकी खुश्बू बाक़ी है...



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कुछ उसकी खुश्बू बाक़ी है,
कुछ आँखों की सियाही हू ब हू बाक़ी  है I


कुछ उसके नर्म लबों की शर्म बाक़ी है,
कुछ आईने में उसके होने का भ्रम बाक़ी है I

कुछ उसके साँसों की गर्मी बाक़ी है,
कुछ उसके होने की सरगर्मी बाक़ी है I

कुछ कुछ मैं उसमें बाक़ी हूँ,
कुछ कुछ वो मुझमें बाक़ी है I

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11 comments:

  1. waah kya khub likha hai...
    The last two lines are just superb.

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    1. Thanks Jyotirmoy for your lovely words for the poem.

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  2. कुछ यादें बाकी हैं......
    कुछ बातें बाकी हैं......
    बहुत खूब नीरज !!!!

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    1. शब्दों की बढियाँ श्रंखला के लिए आभार रेखा जी !

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