कुछ उसकी खुश्बू बाक़ी है...
कुछ उसकी खुश्बू बाक़ी है,
कुछ आँखों की सियाही हू ब हू बाक़ी है I
कुछ उसके नर्म लबों की शर्म बाक़ी है,
कुछ आईने में उसके होने का भ्रम बाक़ी है I
कुछ उसके साँसों की गर्मी बाक़ी है,
कुछ उसके होने की सरगर्मी बाक़ी है I
कुछ कुछ मैं उसमें बाक़ी हूँ,
कुछ कुछ वो मुझमें बाक़ी है I
###
बहुत बरिया
ReplyDeleteधन्यवाद!
Deletewaah kya khub likha hai...
ReplyDeleteThe last two lines are just superb.
Thanks Jyotirmoy for your lovely words for the poem.
DeleteSuperb lines.
ReplyDeleteThanks Sir!
Deleteकुछ यादें बाकी हैं......
ReplyDeleteकुछ बातें बाकी हैं......
बहुत खूब नीरज !!!!
शब्दों की बढियाँ श्रंखला के लिए आभार रेखा जी !
DeleteBeautifully written!
ReplyDeleteThanks Ranjana Jee!
DeleteThanks Mridula Jee!
ReplyDelete