Monday, April 15, 2019

आओ इसको तहस नहस छोड़ते हैं...





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हमने कहा के...
थोड़ा साहस करते हैं,
ज़िंदगी से थोड़ा बहस करते हैं I

ज़िंदगी ने कहा चलो...
इसके साहस की नफ़स तोड़ते हैं,
आओ इसको तहस नहस छोड़ते हैं I
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                               नफ़स : श्वास

16 comments:

  1. जीवन का नकारात्मक हिस्सा अच्छी तरह से आपकी कविता के माध्यम से लिखा गया है। नीरज

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  2. Aur yahi ladai chalte rahte hai ...

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  3. Bahut sundar! Bar bar padhne ka mann hua

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    1. Bahut Dhanayawad Sonal kavita ki sarahna ke liye.

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  4. जिंदगी की यही रीत है - आगे बढो , चलते रहो । सुंदर कविता




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    1. कविता की सराहना के लिए धन्यवाद वर्षा !

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  5. साहस और जिंदगी की लड़ाई को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया हैं आपने नीरज जी।

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    1. कविता की सराहना के लिए बहुत धन्यवाद ज्योति जी !

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  6. Bahut khub Neeraj.Sahas karne waale hi jeette hain.

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    1. Bahut Dhanyawad Indu Jee kavita ki prashansha ke liye.

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  7. जिंदगी हमें रोज तोङती अौर जोङती है। यही इसका सबक है अौर यही परीक्षा है। जो सीख गया वह जीत गया।
    उम्दा अभिव्यक्ति।

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  8. धन्यवाद रेखा जी I

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  9. Life always plays trick and brings obstacles.
    very nice one.

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    1. Thanks Jyotirmoy for your visit and lovely words at the site.

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