एक कल्पना रोपते हैं,
चलो एक सपना देखते
हैं I
चाँद जो लिपटा है विज्ञान
के जामा में,
उसमें फिर से अपना
मामा देखते हैं,
चलो एक सपना देखते
हैं I
बहुत हुई ये भगा दौड़ी,
अब बैठते है और बादलों
में,
हाथी,तोता,घोड़ा और
मैना देखते हैं,
चलो एक सपना देखते
हैं I
बहुत हुआ ये कोक,पिज़्ज़ा,बर्गर,
अब फिर से दूध दही
का भगोना देखते हैं,
चलो एक सपना देखते
हैं I
बहुत हुआ ये हाई-लेवेल
इंटेलेक्चुयल ड्रामा,
फिर से जंगल बुक के
मोगली,
और मालगुडी के स्वामी
का पन्ना खोलते हैं,
चलो एक सपना देखते
हैं I
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Its good to have dreams.
ReplyDeleteThanx S Singh for visiting the site and commenting.
DeleteThe joy in simple everyday things is much higher than complex ones. Beautiful poem.
ReplyDeleteOh!A visit and comment by the doyen of writing/blogging.Means a lot. Thanx Saru.
Deletetoo good. sharing on FB? Neeraj how can I send you friend request on FB.
ReplyDeleteThanks Bhawana.
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