Monday, June 11, 2018

उपर उठता आदमी...



उपर उठता आदमी,

नीचे गिरता आदमी I


अपने चुनता आदमी,

सपने बुनता आदमी I


रिश्ते गाँठता आदमी,

रिश्ते बाँटता आदमी I


तलवे चाटता आदमी,

हलवे बाँटता आदमी I


आँखें मूंदाता आदमी,

आँखें दिखाता आदमी I


आसमान तराशता आदमी,

ज़मीन तलाशता आदमी I


केचुली छोड़ता आदमी,

नकाब ओढ़ता आदमी I


दमड़ी नोचता आदमी,

चमड़ी भोगता आदमी I


लुटता लूटता आदमी, 

 टूटता बनता आदमी I 


पत्थर पूजता आदमी, 

 पत्थर से सर फोड़ता आदमी I  


 ###

No comments:

Post a Comment