Friday, October 18, 2019

उम्मीद के पंखों पे सपनों का भार...




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उम्मीद के पंखों पे,
सपनों का भार I

वो लुढ़कती किस्मत,
वो मिलती हार I

वो रंगों की रौनक,
वो रौशनी की फुहार,
बस मुझको हीं क्यूँ,
करवाते हैं इतना इंतेज़ार?

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Tuesday, October 8, 2019

तेरे दम से जीवन की अभिव्यंजना...





चित्र शीर्षक : देवी दुर्गा, शक्ति की अभिव्यक्ति
चित्र साभार : श्रीमती सुचेता प्रियाबादिनी का फेसबुक पन्ना
चित्र अधिकार : सुचेता प्रियाबादिनी



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तू पाखंड कुचे
तू उद्दंड भच्छे
तू ब्रह्मांड
का आनंद रचे


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तू उत्सव क्रीड़ा,

तू प्रसव पीड़ा,

वो हरदम हारा,

जो तुझसे है भिड़ा I


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तू आरंभ की मौलिक गर्जना,

तू प्रारंभ की मौलिक सर्जना,

तू जीवन का हँसना रोना,

तेरे दम से जीवन की अभिव्यंजना I


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पश्चलिपि: यह रचना श्रीमती सुचेता प्रियाबादिनी की चित्र कृति  "देवी दुर्गा, शक्ति की अभिव्यक्ति" से प्रेरित है I मैने जिस विश्वविद्यालय से स्नातकोतर( प्रबंधन) की पढ़ाई की है, श्रीमती सुचेता प्रियाबादिनी वहाँ निदेशक पद पे कार्यरत है I इस तरह से मेरा रिश्ता उनसे गुरु शिष्य का है और इसी रिश्ते के आधार पर मैं उनकी चित्राकृतियों को शब्दों में आकर देने का साहस कर पाता हूँ I चित्राकृति को शाब्दिक स्वरूप देते समय मेरा प्रयास चित्रकार के कलात्मक मन को पढ़ने का होता है, लेकिन मैं अपने प्रयास में कितना सफल हो पता हूँ,ये तो पाठकों की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है I


Friday, October 4, 2019

दो क़दमों से भागते सपने...



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दो क़दमों से भागते सपने,
छूना चाहते हैं आकाश,
होना चाहते हैं पंख I

दो तालों में उलझी धड़कनें ,
बुनना चाहती हैं प्रबल प्रयास ,
फूंकना चाहती हैं विजय शंख I


दो आँखों में चंदा तारे,
मंज़िल को  दे रहे पुकारे ,
बहुत देर तक राह तकी,
अब सोते हैं हम,
थके हारे ...
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