ज़िन्दगी खोती मिलती एक चीज़ हो गई,
ज़िन्दगी रेत में मिलती तेहज़ीब हो गई ,
और कश्तीओं का नसीब बस डूबना हीं था,
ज़िन्दगी किनारों को तरसती अजीब हो गई I
###