probinglife
Sunday, December 29, 2019
पर ना जाने क्यूँ ?
मैने सब कुछ
सही किया
पर ना जाने क्यूँ
सब ग़लत हो गया ?
मैने सपनों को
अमृत अमृत सींचा
पर ना जाने क्यूँ
सब मृत हो गया ?
मैने अरमानों को
परबत परबत पाला
पर ना जाने क्यूँ
सब गर्त हो गया ?
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Tuesday, December 3, 2019
ये ज़िंदगी है...
कभी आँखों से तूफान बन के
बरसती है,
कभी साँसों में आग बन के
पिघलती है,
कभी हृदय में दर्द का ज्वार बन के
उमड़ती है,
ये ज़िंदगी है...
सबसे एक बार ज़रूर मिलती है I
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