Friday, December 28, 2018

कोई उम्र तो होगी...



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कोई उम्र तो होगी,
मुक़द्दर के स्याह रात की I

कोई उम्र तो होगी,
आँखों में तैरते आँसुओं के बारात की I

कोई उम्र तो होगी,
इंसान से बने मज़बूर की I

कोई उम्र तो होगी,
सिने में जलते तंदूर की I

कोई उम्र तो होगी,
चेहरे पे नाचते गुरूर की I

कोई उम्र तो होगी,
आत्मा को सब होते मंज़ूर की I

कोई उम्र तो होगी,
तूफान के इब्तिसाम की I

कोई उम्र तो होगी,
मेरे सब्र के इम्तिहान की I

कोई उम्र तो होगी,
कराहते हुए जज़्बात की I

कोई उम्र तो होगी,
बिगड़ी हुई हर बात की I

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इब्तिसाम: मुस्कुराहट, मुस्कान

10 comments:

  1. बहुत खूब !!!!
    बिगड़ी हुई बात संभ्भल जाती है, बस सब्र की जरुरत है।

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  2. Thanks Abhijit for appreciation of the post.

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  3. There's hope for a brighter moment and nothing stays the same. There is definitely an "Umar" to everything. Well expressed, Neeraj.

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  4. Yes somehow we all wait for this 'Umar' to cease to be alive and make way for a new dawn.

    Thanks for your visit and appreciation of the post Dipali.

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  5. कोई उम्र तो होगी,
    बिगड़ी हुई हर बात की I superb

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