Friday, October 26, 2018

कैसे समर को अधर में छोड़े कोई ?



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कैसे समर को अधर में छोड़े कोई ?
कैसे नैया को भंवर में छोड़े कोई ?

कैसे हार का आडंबर सहे कोई ?
कैसे तिरस्कार का बवंडर सहे कोई ?

कैसे अपनों की आँख में पानी सहे कोई ?
कैसे सपनों की कोख में वीरानी सहे कोई ?

कैसे दिक्कत को किस्मत पे छोड़े कोई ?
कैसे हिम्मत को गफलत पे छोड़े कोई ?

कैसे ज़िंदगी को इधर उधर छोड़े कोई ?
कैसे ज़िंदगी को बस अगर पे छोड़े कोई ?

कैसे समर को अधर में छोड़े कोई ?
कैसे नैया को भंवर में छोड़े कोई ?

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6 comments:

  1. कैसे अपनों की आँख में पानी सहे कोई ?
    कैसे सपनों की कोख में वीरानी सहे कोई ? beautiful Neeraj.... loved these lines....

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  2. Thanx Bhawana for your wonderful words.

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  3. दिल को छूने वाली, सबसे अच्छी कविता लिखी
    नीरज

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    Replies
    1. बहुत बहुत आभार वर्षा, आपके उत्साहवर्धन के लिए!

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  4. नीरज बहुत अच्छी कविता। 👍 आप इन शब्दों को कहां से प्राप्त करते हैं :)

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  5. बहुत बहुत धन्यवाद सचिन I कुछ शब्द तो ज़िंदगी दे जाती है और कुछ आप जैसे साथी ब्लॉगरों का उत्साहवर्धन I

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