माथे पे ले के उम्मीद का पसीना ,
मुक़द्दर के अंगारे से भिड़ना है I
आँखों में ले के सावन का महीना ,
बादलों के तैयारे से भिड़ना है I
दिल में जला के आग रखना है,
मंज़िल को आँखों के पास रखना है I
मुश्किलें आएं तो आएं ,
पर सफर में उसके होने का एहसास रखना है I
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