Saturday, December 27, 2025

माथे पे ले के उम्मीद का पसीना...

 माथे  पे  ले के  उम्मीद का पसीना ,

मुक़द्दर के अंगारे से भिड़ना है I 


आँखों में ले के सावन का महीना ,

बादलों के तैयारे से भिड़ना है I 


दिल में जला के आग रखना है,

मंज़िल को आँखों के पास रखना है I 


मुश्किलें आएं तो आएं ,

पर सफर में उसके होने का एहसास रखना है I

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